INS செய்தி நிறுவனம் சார்பில் நடத்திய நிகழ்ச்சிகளில் சிறப்பு அழைப்பாளராக கலந்து கொண்டு நிகழ்ச்சியை சிறப்பாக நடத்தி தந்த திருவொற்றியூர் திமுக பகுதி அவைத்தலைவர் மற்றும் வனிகர் சங்க பிரமுகர் R.C.ஆசைத்தம்பி அவர்களுக்கு இன்று 50 ஆம் ஆண்டு பிறந்த நாள் அவரை INS செய்தி நிறுவனம் சார்பில் வாழ்த்தியபோது உடன் தினபூமி தலைமை நிருபர் கி.மணிவாசகம் Reported by : K.Rukmanandhan
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திருவொற்றியூர் சாத்துமாநகரில் ஆங்கில புத்தாண்டு (2023)முதல் நாளில் ஆன்மீக சமூக சேவை சங்கத் தலைவர் *கி.மணிவாசகம் ஏற்பாட்டில் குருசாமி எம் பி ராமச்சந்திரன் தலைமையில்* *எம்.தமிழ் வாசகம்*விழா ஒருங்கிணைப்பாளர் மற்றும் சங்க நிர்வாகிகள் ஒத்துழைப்புடன்நடைபெற்ற விழாவிற்கு பின்னர் இன்று இருமுடி கட்டி சபரிமலை சென்றனர். Reported by K.Rukmanandhan
इस सरकार के षड्यंत्र में ना ही फसने और ना ही डरने की जरूरत : बृजमोहन अग्रवालसंबलपुर और चारामा में देर रात तक बृजमोहन अग्रवाल ने की बैठकेंINS भानुप्रतापपुर: छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर उपचुनाव को लेकर राजनीतिक घमासान तेज है। भाजपा और कांग्रेस उप चुनाव से पहले एक दूसरे पर लगातार हमलावर होती जा रही हैं। इसी बीच झारखंड पुलिस भारतीय जनता पार्टी के भानुप्रतापपुर उपचुनाव के प्रत्याशी ब्रह्मानंद के गिरफ्तार करने की खबर आई। झारखंड पुलिस ने बीजेपी प्रत्याशी को गिरफ्तार करने के लिए कांकेर पुलिस को संपर्क किया है। इसी के चलते राज्य की सियासी सरगर्मियां गर्म हो गई। जिसपर उपचुनाव प्रभारी बृजमोहन अग्रवाल ने बयान देते हुए कहा कि ये कांग्रेस सरकार का षड्यंत्र है। साथ ही यह भी कहा कि, इससे भारतीय जनता पार्टी डरने वाली नहीं है। इससे न ही हमारा प्रचार-प्रसार रुकेगा और न ही हमारा जनसंपर्क। हम और हमारा प्रत्याशी लगातार अपनी जीत के हुंकार भरेगा और चुनाव लड़ेगा। झारखंड पुलिस और छत्तीसगढ़ सरकार में हिम्मत है, तो वें ब्रम्हानंद को गिरफ्तार करके दिखाए; हम जेल से भी चुनाव जीत कर दिखाएंगे।बृजमोहन अग्रवाल ने ये बात सिर्फ अपने बयानों तक सीमित नही रखी, वह शाम को कार्यकर्ताओं के साथ प्रचार-प्रसार करते हुए कई बैठकें ली। इस दौरान उन्होंने भानुप्रतापपुर विधानसभा कार्यालय में पिछड़ा समाज के लोगों की बैठक ली। इस बैठक के दौरान सभी कार्यकर्ताओं को इस भ्रष्ट सरकार की विफल नीतियों से अवगत कराया। साथ ही भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए समस्त चुनावी तैयारियों का जायजा लिया।इसके बाद पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल संबलपुर में जनता व कार्यकर्ताओं के साथ गणेश मंदिर का दर्शन करने पहुँचे। इसके बाद देर रात तक उन्होंने यहाँ भी कार्यकर्ताओं की बैठक ली। इस दौरान अग्रवाल जी ने कार्यकर्ताओं से चर्चा करते हुए कहा कि गरीबों की मूलभूत सुविधाएं छीनने वाली, कानून व्यवस्था को बदहाल कर देने वाली, प्रदेश की सुख-शांति समृद्धि छीन लेने वाली सरकार को लड़ने के लिए ऐसे षड्यंत्र तो रचने ही पड़ेंगे। इसीलिए इस सरकार के षड्यंत्र में फसने की जरूरत नहीं है और ना ही इनके बहकावे में आने की जरूरत है। बस अपनी तैयारियां पूरी जोर-शोर से करनी है। सभी का एक लक्ष्य - भाजपा को जिताना है।
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पीएम मोदी करगिल में देश के जवानों के साथ दिवाली मना रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ ऐसा कोई युद्ध नहीं हुआ है, जहां करगिल ने विजय पताका नहीं फहराया है। अगर हमारे देश की तरफ नजर उठीं तो तीनों सेनाएं उसी भाषा में मुंहतोड़ जवाब देंगी। पीएम मोदी सोमवार (24 अक्टूबर) सुबह ही करगिल पहुंचे हैं और देश के जवानों के साथ दिवाली मना रहे हैं। गौरतलब है कि वह 2014 में सत्ता में आने के बाद से दिवाली मनाने के लिए कई सैन्य केंद्रों का दौरा करते रहे हैं। वहीं इस बार दिवाली के मौके पर पीएम ने सैनिकों को संबोधित किया है। उन्होंने कहा कि कई सालों से आप सब मेरा परिवार हो। मेरी दिवाली की मिठास और चमक आप लोगों बीच है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ ऐसा कोई युद्ध नहीं हुआ है, जहां करगिल ने विजय पताका नहीं फहराया है। भारत कामना करता है कि प्रकाश का यह त्योहार दुनिया के लिए शांति का मार्ग प्रशस्त करे। अर्थव्यवस्था मजबूत हो और समाज विश्वास से भरा हो: पीएमपीएम ने कहा कि एक राष्ट्र तब सुरक्षित होता है जब सीमाएं सुरक्षित हों, अर्थव्यवस्था मजबूत हो और समाज विश्वास से भरा हो।भारत की प्रतिष्ठा विश्व स्तर पर बढ़ी है, यह और तेजी से बढ़ रही है; और ऐसा इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि यह बाहर और अंदर के दुश्मनों से सफलतापूर्वक निपट रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई जारी: पीएमपीएम मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई जारी है, भ्रष्टाचारी कितना भी ताकतवर हो उसे छोड़ा नहीं जाएगा। सशस्त्र बलों में महिलाओं को शामिल करने से हमारी ताकत बढ़ेगी। सशस्त्र बलों में दशकों से सुधार की जरूरत थी, जिन्हें अब लागू किया जा रहा है। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ बहुत महत्वपूर्ण है; विदेशी हथियारों और प्रणाली पर हमारी निर्भरता न्यूनतम होनी चाहिए। हम कभी युद्ध को पहला नहीं बल्कि अंतिम विकल्प मानते हैं। हम शांति में विश्वास करते हैं, लेकिन शांति सामर्थ्य के बिना संभव नहीं है।पीएम ने और क्या कहापीएम मोदी ने कहा कि करगिल में हमारी सेना ने आतंक के फन को कुचला था और देश में जीत की ऐसी दिवाली मनी कि लोग आज भी उसे याद करते हैं। एक राष्ट्र तब अमर होता है जब उसकी संतानों को, उसके वीर बेटों और बेटियों को अपने सामर्थ्य पर परम विश्वास होता है। आपके वजह से देशवासी देश में चैन से रहते हैं, ये भारतवासियों के लिए खुशी की बात है।पीएम ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के दौरान हमने देखा कि कैसे हमारा राष्ट्रीय ध्वज वहां फंसे हमारे नागरिकों के लिए एक ढाल बन गया। दुनियाभर में भारत का सम्मान बढ़ा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भारत अपने आंतरिक और बाहरी दुश्मनों के खिलाफ सफलता के साथ मोर्चा ले रहा है।पीएम ने ये भी कहा कि आप सीमा पर कवच बनकर खड़े हुए हैं तो देश के भीतर देश के दुश्मनों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो रही है। आतंकवाद, नक्सलवाद आदि जो जड़ें बीते वर्षों में पनपी थीं, उसे उखाड़ने का सफल प्रयास देश निरंतर कर रहा है। उन्होंने कहा कि कभी नक्सलवाद ने देश के एक बड़े हिस्से को अपनी गिरफ्त में ले लिया था, लेकिन आज वो दायरा सिमट रहा है। राष्ट्र हित में आज बड़े से बड़े निर्णय तेजी से लागू किए जाते हैं। सेना में बड़े सुधार की जो जरूरत दशकों से महसूस की जा रही है वो आज जमीन पर उतर रही है ।
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Mukesh Ambani’S New Company: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ऐलान किया कि वह अपनी फाइनेंशियल सर्विसेज अंडरटेकिंग को रिलायंस स्ट्रैटेजिक इनवेस्टमेंट्स लिमिटेड (RSIL) में डिमर्ज करेगी और उसे जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड यानी JFSL नाम देगी. देश के दूसरे सबसे रईस अरबपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की एक और कंपनी की शेयर बाजार में लिस्टिंग होगी. इस कंपनी का नाम-जियो फाइनेंशियल सर्विसेज होगा. आपको बता दें कि वर्तमान में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड शेयर बाजार में लिस्टेड है और मार्केट कैपिटल के लिहाज से यह देश की सबसे बड़ी कंपनी है.कंपनी ने शुक्रवार को बयान में कहा कि रिलायंस के शेयरधारकों को कंपनी के प्रत्येक शेयर के बदले जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (जेएफएस) का एक शेयर दिया जाएगा. बता दें कि रिलायंस के फाइनेंशियल सर्विसेज का कारोबार 31 मार्च, 2022 तक 1,387 करोड़ रुपये था. यह रिलायंस इंडस्ट्रीज के कुल कारोबार का 0.3% था. चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का शुद्ध लाभ 13,656 करोड़ रुपये पर रहा. इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान तिमाही में कंपनी ने 13,680 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था. वहीं, पिछली तिमाही की तुलना में रिलायंस के शुद्ध लाभ में 24 प्रतिशत की कमी आई है.
RAJDHANI
स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में नोबेल प्राइज वीक 2022 का आज दूसरा दिन है। आज फिजिक्स का नोबेल तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है। ये हैं- एलेन आस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉसर और एंटन जेलिंगर। उन्हें यह पुरस्कार क्वांटम इन्फॉर्मेशन साइंस और फोटोन्स पर रिसर्च के लिए दिया गया है।एलेन आस्पेक्ट फ्रांस से ताल्लुक रखते हैं। वो पेरिस और स्केले यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। जॉन एफ क्लॉसर अमेरिकी रिसर्चर और प्रोफेसर हैं। एंटन जेलिंगर ऑस्ट्रिया की विएना यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट और रिसर्चर हैं।नोबेल प्राइज वीक 10 अक्टूबर तक चलेगा। 7 दिन में कुल 6 प्राइज अनाउंस होंगे। सोमवार को मेडिसिन का नोबेल स्वीडन के सावन्ते पाबो को दिए जाने का ऐलान हुआ था।सबसे आखिर में 10 अक्टूबर को इकोनॉमिक्स कैटेगरी का प्राइज अनाउंस किया जाएगा। इस हफ्ते सिर्फ पुरस्कार जीतने वाले व्यक्ति या संस्थान के नामों का ऐलान होगा। दिसंबर में इन्हें प्राइज दिए जाएंगे। कोविड की वजह से 2020 और 2021 के विजेता स्टॉकहोम नहीं पहुंच पाए थे। कमेटी ने इस बार इन दो साल के विजेताओं को भी स्टॉकहोम इनवाइट किया है।
भारत के DGMO यानी डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन के लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं। उन्होंने ऐलान किया- ‘भारत ने सीमापार आतंकियों के लॉन्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक की है। भारतीय सेना ने पहली बार LoC पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आतंकियों के लॉन्च पैड तबाह कर डाले। ये न सिर्फ उरी हमले का बदला था, बल्कि पाकिस्तान को एक खुली चेतावनी थी कि जब-जब आतंकी हमला होगा, भारत उनके घर में घुसकर मारेगा।सैन्य रणनीति की पढ़ाई में इस तरह के हमलों को प्रीएम्टिव स्ट्राइक कहते हैं। अब तक अमेरिका और इजराइल जैसे देश इस तरह की आक्रामक स्ट्रैटजी को अपनाते आए थे। भारत के इस कदम से दुनिया हैरान रह गई।सबसे पहले जानिए उरी हमला कैसे हुआतारीख- 18 सितंबर 2016। समय- सुबह के साढ़े 5 बजे। चार आतंकवादी भारतीय सैनिकों के वेश में LoC को पार कर कश्मीर में घुस आते हैं। उनके निशाने पर है उरी भारतीय सेना का ब्रिगेड हेडक्वार्टर। उजाला होने से पहले आतंकी हमला करते हैं। 3 मिनट के भीतर ही आतंकियों ने 15 से ज्यादा ग्रेनेड कैंप पर फेंके। हमले में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो जाते हैं। कई घायल हुए। सेना के जवानों ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए आतंकियों पर फायरिंग की। सेना की जवाबी कार्रवाई में चारों आतंकी मारे गए।इंडियन पैरा ट्रूपर स्पेशल फोर्सेज यानी PARA SF पहुंचती है। इन कमांडोज की पहचान गाढ़े भूरे रंग की टोपी से होती है। इन्हें मैरून बैरे कहते हैं। PARA SF के पहुंचने तक यह हमला खत्म हो चुका था। पिछले 20 साल में सेना पर हुआ ये सबसे बड़ा हमला था। पूरे देश में इस हमले के खिलाफ गुस्सा था। हर ओर बदला लेने की बात उठने लगी थी।डिफेंस एनालिस्ट नितिन गाोखले बताते हैं कि अब तक सुरक्षा एजेंसियों ने पता लगा लिया था कि ये आतंकी PoK से आए थे और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े थे। पाकिस्तान की सेना इन्हें पूरा सपोर्ट देती है।दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने का आदेश दियादिल्ली में सरगर्मी बढ़ी हुई थी। हाईलेवल की मीटिंग्स का दौर चल रहा था। नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी, आर्मी और डिफेंस मिनिस्टर सबकी एक ही राय थी, दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब तो देना ही पड़ेगा। यानी उरी हमले के बाद चुप रहा नहीं जा सकता था। इसके बाद सीमापार जाकर आतंकी ठिकानों, यानी लॉन्च पैड को नष्ट करने का फैसला लिया गया। जल्द ही सभी विकल्पों पर चर्चा की गई।हमारे पास हवाई हमले से लेकर लांग रेंज आर्टिलरी फायर तक का ऑप्शन था, लेकिन मकसद था पाकिस्तान को कड़ा संदेश पहुंचाने का। फैसला लिया जा चुका था। एक सर्जिकल ऑपरेशन किया जाएगा। भारतीय सेना दुश्मन के इलाके यानी PoK में घुसकर आतंकियों के लॉन्च पैड को नष्ट करेगी।इस ऑपरेशन के लिए जम्मू कश्मीर में बेस्ड इंडियन आर्मी की PARA SF की 2 यूनिट्स को चुना गया। दुश्मनों को पैरा PARA SF के जवानों से बेहतर कोई नहीं जानता था।एक टॉप सीक्रेट मिशन तैयार किया गया। सर्जिकल स्ट्राइक जैसे खतरनाक मिशन के लिए 2 टीमें तैयार की गईं। स्ट्राइक टीम-1 के लीडर थे मेजर अवनीश (बदला हुआ नाम) और स्ट्राइक टीम-2 के लीडर थे मेजर विनीत। इस हमले को अंजाम देने वाले दोनों लीडर का नाम कभी डिस्क्लोज नहीं किया गया।तारीख : 23 सितंबर 2016समय : सुबह के 9 बजे थेस्ट्राइक टीम-2 के लीडर मेजर विनीत को फोन आता है कि आप फौरन ट्रेनिंग एरिया में रिपोर्ट करिए। इसी के बाद से सर्जिकल स्ट्राइक के लिए गेम प्लान बनना शुरू हो गया। स्ट्राइक टीम 1 के लीडर मेजर अवनीश कहते हैं कि हम लोगों ने उन सभी ऑप्शन पर गौर करना शुरू कर दिया था जो हमारे पास थे। इसके बाद इस प्लान को दिल्ली भेजा जाता है।तारीख : 23 सितंबर 2016समय : सुबह के 10:30 बजे थेप्रधानमंत्री के सामने 23 सितंबर को एक प्लान पेश किया गया। PoK में मल्टिपल टारगेट पर हमला करने की तैयारी थी। आर्मी हेडक्वार्टर ने आतंकियों के 6 ठिकाने यानी लॉन्च पैड को चुना था। ये सभी टारगेट दुश्मन के इलाके में थे। साथ ही बहुत दुर्गम इलाकों में। ये टारगेट एक दूसरे से काफी दूर भी थे। हर जगह एक साथ हमला करना लगभग नामुमकिन था।आज हम इनमें से 2 टीम की कहानी बता रहे हैं।ऑपरेशन के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई थीं। स्ट्राइक टीम 1 और स्ट्राइक टीम-2 को नॉर्थ कश्मीर के 2 टारगेट की जिम्मेदारी मिली। मेजर अवनीश और मेजर विनीत ने अपनी स्पेशलाइज्ड रेकी टीम को तैयार किया। उनका काम था दुश्मन पर करीब से नजर रखना और जरूरी जानकारी जुटाना। मेजर विनीत अपनी टीम के साथ होम बेस से निकल पड़े। इस रेकी के 3 मुख्य उद्देश्य थे।पहला- लाइन ऑफ कंट्रोल पर जाने के लिए बेस्ट रूट को चुनना।दूसरा- टारगेट पर 24 घंटे नजर रखना।तीसरा- सेफ एग्जिट प्लान पर काम करना।आतंकियों की रेकी के लिए PARA SF दो टीमें PoK पहुंचती हैंतारीख : 24 सितंबर 2016समय : शाम के 6 बजे थेLOC के पास काफी बिल्टअप एरिया थे और काफी गांव थे। दुश्मन के खबरी हर तरफ फैले हुए थे। सबसे बड़ा चैलेंज था कि दुश्मन को इसकी भनक नहीं लगे। आतंकवादियों के घुसपैठ का रास्ता इन घने जंगलों से होकर गुजरता है। मेजर विनीत की रेकी टीम अपने मिशन पर निकलती है।तारीख : 24 सितंबर 2016समय : रात के 9:30 बजे थेदूसरी तरफ करीब 100 किलोमीटर दूर मेजर अवनीश अपनी रेकी टीम के साथ होम बेस से निकल चुके थे। उन्होंने पीर पंजाल के घने जंगलों को अपना रास्ता चुना। यहां से कोई नहीं गुजरता था। इसकी खास वजह भी है। जमीन से कुछ इंच नीचे एंटी पर्सनल माइंस बिछी हुई थीं। जो हल्के से कॉन्टैक्ट के साथ ही फट सकती थी। यानी एक गलत कदम और इन जवानों के साथ ही ये मिशन भी खत्म। वजह है बहुत वक्त बीत जाने से माइंस वहां से खिसक जाती हैं जहां उन्हें लगाया जाता है। ये पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है कि माइंस कहां खिसकी होंगी।लेकिन ट्रेनिंग और सावधानी काम कर गई। मेजर अवनीश और उनकी रेकी टीम-1 LoC को पार करते हुए PoK के लीपा वैली में प्रवेश करती है। दूसरी तरफ मेजर विनीत और उनकी रेकी टीम-2 PoK के वीरान अरनकेर सेक्टर में पहुंच चुकी थी। वहां पर कोई रास्ता नहीं था, हर ओर जंगल ही था।तारीख : 25 सितंबर 2016समय : रात के 12:45 बजे थेदोनों रेकी टीम अब PoK में थीं। यहां से उन्हें अपनी हिफाजत खुद करनी थी। मौत का साया हरपल मंडरा रहा था। पाकिस्तानी पोस्ट, 24 घंटे मुस्तैद पेट्रोलिंग और सर्विलांस ड्रोन हर हरकत पर पैनी नजर रख रहे थे। सुबह होते ही आसमान में एक आवाज सुनाई दी।मेजर अवनीश और रेकी टीम-1 वहीं थम गए। ये हाईटेक मोशन सेंसर से लैस एक पाकिस्तानी ड्रोन था। यह हल्की से हल्की हरकत भी पकड़ सकता था। ड्रोन के जाने तक टीम उसी तरह खड़ी रही। इसके बाद मेजर अवनीश अपने साथियों को आगे बढ़ने का आदेश देते हैं।तारीख : 25 सितंबर 2016समय : सुबह के 6:54 बजे थेरेकी टीम का पहला मकसद पूरा हो गया था। टीम को LOC के उस पार आतंकियों लॉन्च पैड तक पहुंचने का सबसे सुरक्षित रूट मिल गया था। मेजर अवनीश कहते हैं कि वैसे तो हम इस तरह का ट्रैक 5 से 6 घंटे में पूरा कर लेते हैं, लेकिन उस दिन हमें करीब 10 घंटे लग गए थे।आखिरकार दोनों रेकी टीम अपने टारगेट यानी आतंकियों के लॉन्च पैड के पास पहुंच गए। दोनों टीम ने अपनी पोजीशन ले ली। कुछ जवान तो टारगेट के 250 मीटर के करीब पहुंच गए थे। उनकी वर्दी उन्हें दुश्मन से छिपने में मदद करती है। अब उनका दूसरा लक्ष्य था टारगेट के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना।मिशन को सफल बनाने के लिए हर एक छोटी जानकारी भी बहुत जरूरी थी। 24 घंटे की निगरानी शुरू हो गई। लेकिन खुद को छिपाए रखते हुए इससे पहले दुश्मन के इलाके में इतना लंबा वक्त इन जवानों ने कभी नहीं बिताया था।तारीख : 25 सितंबर 2016समय : सुबह के 7:30 बजे थेआतंकी लॉन्च पैड के वीडियो बनाए गए, बारीक चीजों को समझा गया। टारगेट का एक ले आउट मैप तैयार किया गया। यानी किस तरफ वो (आतंकी) अपना खाना पकाते हैं, हथियार,अनाज और पानी कहां रखते हैं। हर जानकारी निकाली गई। यानी कितने आतंकी थे, उनके पास कौन से और किस तरह के हथियार थे। उनके मूवमेंट का पैटर्न क्या था। जैसे दोपहर में आतंकी बोट गेम्स खेलते थे। साथ ही पोस्ट के बीच में बैठकर कुछ समय गुजारते थे।तारीख : 25 सितंबर 2016समय : दोपहर के ढाई बजेलॉन्च पैड पर कुछ नए चेहरे दिखाई देने लगे। ये पूरी तरह से ट्रेन्ड आतंकियों का पूरा ग्रुप था। जो भारत में घुसने की तैयारी कर रहा था। सेना को अपने उन मुखबिरों से जो आतंकी संगठन जैश और लश्कर में काम कर रहे हैं। ये पता चला कि इन लॉन्च पैड पर आतंकियों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। मेजर विनीत खुद भी यही चाहते थे। इस मिशन का लक्ष्य ही यही था कि एक ही हमले में ज्यादा से ज्यादा आतंकियों को मारा जाए। शाम ढलते-ढलते इन लॉन्च पैड पर हलचल कम होती गई। रात 8 बजे तक बिल्कुल सन्नाटा छा गया था।दूसरी तरफ मेजर अवनीश के टारगेट पर भी रात तक सभी हलचल बंद हो गई थी। तभी अचानक रात 8 बजकर 15 मिनट पर आतंकी गोलियां चलाने लगते हैं। मेजर अवनीश बिल्कुल शांत थे। उनके जवान झाड़ियों में छिपे रहे और गोली चलने के पैटर्न को समझ रहे थे। जल्द ही उन्हें पता चल गया कि ये सिर्फ स्पेकुलेटिव फायरिंग थी। ऐसा अक्सर किया जाता है। जिस दिशा से हमला होने का डर हो, उस तरफ अपनी सुरक्षा के लिए ऐसी फायरिंग होती है।मतलब अब भी आतंकियों को रिकॉन टीम के बारे में पता नहीं चला था। यहां एक गलती पूरे मिशन को विफल कर सकती थी। मेजर अवनीश ओर उनकी टीम अभी भी बिल्कुल शांत थी और उम्मीद कर रही थी कि गोलियां उनकी तरफ न चलने लगें।तारीख : 26 सितंबर 2016समय : सुबह के 6:30 बजे थेसुबह तक गोलियां चलना बंद हो गईं। अब दुश्मन के इलाके से निकलने का वक्त आ गया था। अब दोनों टीम के पास वो सारी जानकारी थी, जिनकी उन्हें इस सर्जिकल स्ट्राइक के लिए जरूरत थी। स्पेशल फोर्स के कमांडिंग अफसर कहते हैं कि अब हमारे पास आतंकियों के लॉन्च पैड की हर जानकारी थी। यानी वे कितने ताकतवर हैं। यहां तक की हमें आतंकियों के एक-एक कमांडर का नाम तक पता था।वहीं मेजर विनीत के जवान 80 डिग्री के ढलान पर तैनात थे। यहां से निकलना आसान नहीं था। इसलिए कुछ रस्सियां बांधकर वहीं छोड़ दी गईं, ताकि हमले के बाद लौटने में आसानी हो।अब रेकी टीम का तीसरा लक्ष्य एग्जिट प्लान यानी वापस जाने के लिए एक छोटा और सुरक्षित रास्ता खोजना था। क्योंकि भारतीय सेना के हमले के बाद उस इलाके की पाकिस्तानी फौज जवाबी फायरिंग करेगी और एक पुख्ता प्लान जवानों की जिंदगी और मौत के बीच का अंतर बन सकता था।अगले दिन दोपहर तक दोनों टीमें अपनी पोस्ट पर पहुंच गईं। और उन डिटेल्स को देखने लगे जो हमने वहां से जुटाई थी। अब टारगेट पर 24 घंटे नजर रखी जाने लगी। अनमैन्ड एरियल व्हीकल स्पेशल फोर्स के हेडक्वार्टर तक लाइव फीड पहुंचा रहे थे।फोन आता है बडी निकलने का वक्त आ गया हैतारीख : 27 सितंबर 2016समय : दोपहर के 3 बजे थेआतंकियों के लॉन्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक का वक्त आ चुका था। मेजर अवनीश और मेजर विनीत ने अपने सबसे काबिल सैनिक चुन लिए। मेजर अवनीश बताते हैं कि हम लॉन्च पैड पर जिस स्ट्रैटजी के साथ हमला करना चाहते थे, उसी जरूरत और काबिलियत के हिसाब से सैनिकों को चुना गया। मेजर विनीत कहते हैं कि जितने भी जवान चुने गए थे वे घाटी में करीब 15-16 साल से तैनात थे। हर स्पेशलिस्ट स्क्वाड को अटैक की पोजीशन बता दी गई थी। हर एक के पास घातक हथियार थे। प्लान बहुत ही सिंपल था। पूरी तैयारी से हमला करना।स्पेशल फोर्स के एक जवान बताते हैं कि रात को हम लोग डिनर कर रहे थे। मैं हमारे CO ओर बाकी के मेंबर। तभी फोन आता है। CO ने थम्सप किया, फिर एक लाइन कही बडी निकलने का वक्त आ गया है। स्ट्राइक टीम-1 निकल पड़ती है। अब उन्हें मिशन पूरा करके ही लौटना है।तारीख : 28 सितंबर 2016समय : दोपहर के 4 बजे थेमेजर अवनीश की टीम को होम बेस से एयरलिफ्ट किया गया।तारीख : 28 सितंबर 2016समय : शाम के 4:45 बजे थेस्ट्राइक टीम-1 को अनमार्क्ड लैंडिंग जोन में उतारा गया।तारीख : 28 सितंबर 2016समय : रात के 8:15 बजे थेमिलिट्री ट्रक और सिविलियन व्हीकल से स्ट्राइक फोर्स को स्ट्रैटजी के हिसाब से तय किए गए स्थानों पर पहुंचाया गया। प्लान के मुताबिक स्ट्राइक टीम-2 पीर पंजाल के जंगल की तरफ बढ़ रही थी। अंदर जाने के लिए सही समय और चांद की सही रोशनी का इंतजार हो रहा था। टीम ऐसे रास्ते से अंदर गई जहां से कोई नहीं देख पाया यहां तक कि हमारे अपने लोग भी।स्ट्राइक टीम की तादात बड़ी है। उनके हथियार भारी भरकम हैं। और गोला बारूद बड़ी मात्रा में है। यानी पकड़े जाने का खतरा और ज्यादा था। रेकी टीम की तैयारी काम आई और दोनों स्ट्राइक टीम LoC तक पहुंच गई थीं। बिना किसी की नजरों में आए यानी पूरी तरह सुरक्षित।तारीख : 28 सितंबर 2016समय : रात के 11:40 बजे थेमेजर अवनीश की टीम दुश्मन के इलाके में यानी PoK में पहुंच चुकी थी। मेजर विनीत की टीम ने भी LOC को पार कर लिया था।तारीख : 29 सितंबर 2016समय : रात के 12:10 बजे थेमेजर विनीत की रॉकेट लॉन्चर टीम को दुश्मन के ठिकानों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी। रॉकेट लॉन्चर से जबरदस्त बैक ब्लास्ट होता है। इसके पीछे 40 मीटर की खुली जगह चाहिए। वरना इसे चलाने वाला बुरी तरह झुलस सकता है।ये इलाका चुनौतियों से भरा पड़ा था। ढलान लगभग 80 डिग्री की थी। लेकिन मेजर विनीत के पास इसका भी सॉल्यूशन था। रॉकेट लॉन्चर टीम को हार्नेस पहनाया गया। रस्सियां बांधकर खड़ी ढलान पर हमले के लिए एक सेफ फायरिंग पोजीशन बना ली गई।तारीख : 29 सितंबर 2016समय : रात के 2 बजे थेस्ट्राइक टीम-1 और टीम-2 अब हमला करने के लिए तैयार थी। पहले से ही तय था सुबह पहली किरण के साथ ही दोनों टीम आतंकियों के लॉन्च पैड पर हमला करेंगी। अब सिर्फ इंतजार करना था।इसी बीच 300 किमी साउथ में जम्मू रीजन में स्पेशल फोर्सेज की एक और टीम ने आतंकवादियों के लॉन्च पैड को उड़ा दिया। यानी पाकिस्तान को जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक शुरू हो चुकी थी।तारीख : 29 सितंबर 2016समय : रात के 2:20 बजे थेकुछ ही मिनटों में स्ट्राइक टीम-1 के टारगेट यानी आतंकियों ने एहतियात के तौर पर अपने लॉन्च पैड के चारों ओर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। स्ट्राइक टीम-1 के सबक्वाड की तरफ फायरिंग होने लगी। आर्मी की तरफ से मिशन को जल्द खत्म करने का आदेश आ गया था, लेकिन फाइनल डिसीजन जंग के मैदान में टीम लीडर पर छोड़ दिया जाता है।मेजर अवनीश के सबक्वाड पर जबरदस्त तरीके से गोलीबारी की जा रही थी, लेकिन वो एक कैलकुलेटिव रिस्क लेने को तैयार थे। उनकी टीम अभी भी दुश्मन की नजरों में नहीं आई थी। इसलिए वो खामोशी से बैठे रहे और सूरज निकलने का इंतजार करने लगे। इस दौरान उन्होंने टीम को थोड़ा पीछे हटने को कहा।तारीख : 29 सितंबर 2016समय : सुबह के 5:15 बजे थेदुश्मन की फायरिंग बंद हो गई। स्ट्राइक टीम-1 हमला करने के लिए तैयार थी और जवानों ने पोजीशन ले ली थी।तारीख : 29 सितंबर 2016समय : सुबह के 6 बजे थेमेजर अवनीश के एक्शन बोलते ही जवानों ने लॉन्च पैड पर हमला शुरू कर दिया। दुश्मन पर चारों तरफ से ताबड़तोड़ गोला बारूद दागे जाने लगे। जवानों ने दुश्मनों को संभलने का मौका तक नहीं दिया गया। आतंकियों को पता ही नहीं चल पाया कि क्या हो रहा है। दुश्मन इधर-उधर फैल गए थे। इसके बाद दूसरी टीम अंदर पहुंची। स्पेशल फोर्सेज ने दुश्मनों के लॉन्च पैड को तहस-नहस कर दिया।तारीख : 29 सितंबर 2016समय : सुबह के 6:20 बजे थेटारगेट-2 पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। लेकिन मिशन अभी भी पूरा नहीं हुआ। आसपास की पाकिस्तानी पोस्ट हरकत में आ चुकी थीं। उन्होंने स्ट्राइक टीम की दिशा में फायरिंग करनी शुरू कर दी। ये इशारा था कि एग्जिट प्लान शुरू किया जाए।स्ट्राइक फोर्स को वहां से जल्द से जल्द निकलना था। गोलियों की बौछार और मोर्टार के धमाकों के बीच के वक्त का सही इस्तेमाल करके स्ट्राइक टीम वहां से निकलने में कामयाब रही।तारीख : 29 सितंबर 2016समय : सुबह के 6:30 बजे थेस्ट्राइक टीम-1 अपने टारगेट पर कहर बरपा रही थी। मिशन का वक्त खत्म हो रहा था। निकलने का टाइम हो चुका था। लेकिन उनकी डायरेक्शन में पाकिस्तान की तरफ से जमकर फायरिंग हो रही थी। जवानों के कान के पास से गोलियां गुजर रही थीं। कभी दाएं, कभी बाएं मोर्टार गिर रहे थे। तभी आदेश आया कि वहां से तुरंत निकलें।सभी जवान दुश्मनों की गोलियों को चकमा देते हुए वहां से निकलने लगे। सुबह 9 बजे तक दोनों टीम हमले की जगह से निकल चुकी थीं, लेकिन वो अब भी दुश्मन के इलाके में हैं। काफी सावधानी बरतते हुए टीम LoC की ओर चलती है। स्ट्राइक टीम-2 भारत में कदम रख चुकी है।तारीख : 29 सितंबर 2016समय : सुबह के 9:30 बजे थेस्ट्राइक टीम-1 LOC पार करके कश्मीर घाटी में पहुंच चुकी है।तारीख : 29 सितंबर 2016समय : सुबह के 9:45 बजे थेऑर्मी हेडक्वार्टर को संदेश भेजा की सभी टीमें सुरक्षित वापस आ चुकी हैं।तारीख : 29 सितंबर 2016समय : सुबह के 9:50 बजे थेआगे बढ़ते वक्त जोरदार धमाका होता है। पता चला कि एक जवान ने माइन पर पैर रख दिया और धमाके में उसके पैर का एक हिस्सा उड़ गया। जवान का पैर बचाने के लिए तुरंत एयर लिफ्ट करना जरूरी था। मेजर अवनीश ने हेलिकॉप्टर मंगवाया। स्ट्राइक टीम-2 इवैकुएशन पॉइंट तक पहुंच गई। हेलिकॉप्टर से घायल जवान को ले जाया गया।मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि 6 टारगेट पर कुल 38 से 40 आतंकी और पाकिस्तानी सेना के 2 सैनिक मारकर PARA SF के कमांडो ने उरी का बदला ले लिया। इसके बाद आर्मी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बताती है।उस वक्त नॉर्दर्न आर्मी कमांडर के रूप में इस ऑपरेशन को लीड कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा ने कहा था कि यहां आतंकियों की संख्या मायने नहीं रखती, बल्कि ऑपरेशन के बाद सभी जवानों की सुरक्षित वापसी जरूरी थी। यदि 100 आतंकी भी मारे जाते, लेकिन कोई एक जवान भी वहां रह जाता तो यह मिशन विफल हो जाता।
DESH
सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद जब अशोक गहलोत लौटकर आए तो कैमरे पर उनकी ये तस्वीरें सियासत की भी कहानी कह रहीं थीं। प्रेस काॅन्फ्रेंस से पहले तस्वीरों में गहलोत थोड़े असहज नजर आ रहे थे, इसी से कयासों का दौर गर्म हो गया, हालांकि बाद में उनकी कई तस्वीरें आईं, जिसमें उनका हाव-भाव आत्मविश्वास से भरपूर थाराजस्थान में चल रहे सियासी बवाल के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मिलकर माफी मांगी है। गहलोत ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए गांधी परिवार और कांग्रेस के प्रति निष्ठा जताई है। इस बवाल की जिम्मेदारी लेते हुए गहलोत ने इसके बाद बने माहौल में अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।अध्यक्ष पद की दौड़ में बाहर होने से फिलहाल गहलोत की सीएम की कुर्सी कुछ समय के लिए बच गई है। गहलोत ने सीएम बने रहने का फैसला सोनिया गांधी पर छोड़कर सियासी अटकलें लगाने का अवसर दे दिया है।सोनिया गांधी के साथ बैठक के बाद गहलोत ने जिस तरह घटना की जिम्मेदारी ली है, उससे कई सियासी सवाल भी खड़े हो गए हैं।अशोक गहलोत ने किस बारे में क्या बोला और इसके मायने...50 साल से मैंने कांग्रेस के वफादार सिपाही की तरह काम कियागहलोत ने कहा- पिछले 50 साल से मैंने कांग्रेस के वफादार सिपाही की तरह काम किया है। इंदिरा गांधी से लेकर बाद में राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और सोनिया गांधी तक मैंने कांग्रेस के वफादर सिपाही के रूप में काम किया। केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और सोनिया जी के आशीर्वाद से तीसरी बार सीएम बना। राहुल जी ने फैसला किया, तमाम समय को मैं भूल नहीं सकता।मायने क्या?: गहलोत ने इसमें बताने की कोशिश की कि वे गांधी परिवार और कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं। हर हालात में पार्टी के साथ खड़े रहेंगे। सीएम पद उनकी महत्वाकांक्षा नहीं है।सोनिया के बारे में कहा- सोनिया जी से मैंने सॉरी फील किया है, माफी मांगी हैनया मुख्यमंत्री चुनने का फैसला कांग्रेस हाईकमान पर छोड़ने के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक का गहलोत खेमे के विधायकों ने बहिष्कार करते हुए सचिन पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इस घटना पर अब सीएम ने माफी मांगी।मायने क्या - गहलोत ने विधायक दल के बहिष्कार में उनकी भूमिका से साफ इनकार करते हुए जिस तरह से जिम्मेदारी ली है, उससे यह क्लियर हो गया है कि उन्होंने हाईकमान के तेवर को समझते हुए हर हाल में पार्टी के साथ खड़े होने की बात कही है।गहलोत ने कहा कि फैसला करते वक्त एक लाइन का प्रस्ताव पारित करने का हमेशा कायदा रहा है। दुर्भाग्य से उस वक्त ऐसी स्थिति बन गई कि वह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया, क्योंकि मैं सीएलपी लीडर हूं, वहां पर, मुख्यमंत्री हूं। मैं उस प्रस्ताव को पास नहीं करवा पाया। कारण चाहे जो भी रहे हों। इस बात का दुख मुझे हमेशा जिंदगी भर रहेगा।मायने क्या :- गहलोत ने ये बताने का प्रयास किया है कि वे कभी भी पार्टी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन विधायकों की भावना के आगे कुछ नहीं कर सकते। बगावत करने वाले लोग समर्थन नहीं दे रहे हैं तो उनके खिलाफ भी नहीं जा सकते।फ्यूचर प्रेसिडेंट के बारे में, गहलोत बोले- अब इस माहौल में चुनाव नहीं लड़ूंगागहलोत ने कहा- इस घटना ने कई तरह के मैसेज दे दिए। मेरी मोरल रेस्पॉन्सिबिलिटी थी कि विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पारित होता। मैंने तय किया है कि अब इस माहौल में चुनाव नहीं लड़ूंगा।राजस्थान सीएम के बारे में- सीएम का फैसला सोनिया गांधी करेंगीमुख्यमंत्री बने रहने के सवाल पर गहलोत ने कहा- यह फैसला मैं नहीं करूंगा। यह फैसला सोनिया गांधी करेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष करेगा।हां, कुछ हद तक सफल, लेकिन सियासी संशयसियासी हलकों में एक आम धारणा है कि अशोक गहलोत राजस्थान सीएम का पद नहीं छोड़ना चाहते थे। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने पर उन्हें नामांकन से पहले राजस्थान सीएम का पद छोड़ना पड़ता। यह उनके खेमे के विधायक नहीं चाहते थे।राहुल गांधी ने नॉन गांधी अध्यक्ष का फॉर्मूला दिया। गहलोत के पास नामांकन दाखिल करने के अलावा कोई चारा नहीं था। एक व्यक्ति एक पद की वजह से उन्हें पद छोड़ना पड़ता। नया सीएम चुनने के लिए रविवार को जयपुर में विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया। इस घटना के बाद गहलोत कुछ समय के लिए सीएम पद बचाने में सफल हो गए हैं, लेकिन उन पर सवाल जरूर उठने शुरू हो गए हैं। हालांकि अभी ये कहना जल्दी होगी कि वे कितने दिन सीएम रहेंगे?और माफीनामा लीक के मायने क्या? सिर्फ हाईकमान का मान रखा?:गहलोत जब सोनिया गांधी से मिलने जा रहे थे तो उनके हाथ में माफीनामे के पॉइंट लिखा हुआ कागज था। यह कागज कैमरों में आ गया। गहलोत ने सोनिया को जो माफीनामा दिया, उसके पॉइंट सामने लाने के पीछे सोची समझी रणनीति बताई जा रही है। हालांकि माफीनामा क्लियर नहीं है और गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी माफी की बात कही। हालांकि इस माफीनामे से यह मैसेज जरूर देने का प्रयास किया गया कि वे कांग्रेस हाईकमान का आदेश मानते हैं और सम्मान करते हैं।
POLTICAL
राजस्थान में मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला एक-दो दिन में हो जाएगा। दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद गुरुवार शाम कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मीडिया से कहा- एक बार फिर ऑब्जर्वर जयपुर जाएंगे। विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी। इसके बाद निर्णय लिया जाएगा कि गहलोत CM होंगे या नहीं।इधर, आज रात 8 बजे के करीब सचिन पायलट भी सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे। वेणुगोपाल भी वहां मौजूद रहे। करीब एक घंटे चली बैठक के बाद सचिन पायलट ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा- राजस्थान के संदर्भ में जो भी सकारात्मक निर्णय होगा, वह अध्यक्ष लेंगे। मैंने अपनी भावनाएं जाहिर कर दी हैं। 30 साल से राजस्थान में सरकार बनाने का पांच-पांच साल की परिपाटी बनी है। 2023 में सरकार कैसे रिपीट हो, उस उद्देश्य से काम करना है। इस पर विस्तार से चर्चा की गई। फिर से राजस्थान में सरकार बनाना हमारी प्राथमिकता है।राजस्थान का CM कौन होगा, इस सवाल का जवाब पायलट ने नहीं दिया।वहीं राजस्थान में बयानबाजी करने वाले नेताओं के लिए वेणुगोपाल ने एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में पार्टी नेताओं को बयानबाजी से बचने की नसीहत दी है। उल्लंघन करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सोनिया गांधी से करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात हुई। मीटिंग के बाद गहलोत ने साफ कर दिया कि वे कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के साथ बैठकर मैंने बात की है। मैंने हमेशा वफादार सिपाही के रूप में काम किया है। विधायक दल की बैठक के दिन हुई घटना ने सबको हिलाकर रख दिया। ऐसा लगा जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बना रहना चाहता हूं, इसलिए मैंने उनसे माफी मांगी है।गहलोत ने गुरुवार को सोनिया से मुलाकात के बाद मीडिया से कहा- 'हमारे यहां हमेशा से परंपरा रही है कि हम आलाकमान के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पास करते हैं। मुख्यमंत्री होने के बावजूद मैं यह एक लाइन का प्रस्ताव पास नहीं करवा पाया, इस बात का दुख रहेगा। इस घटना ने देश के अंदर कई तरह के मैसेज दे दिए।'गहलोत जब सोनिया से मिलने जा रहे थे तो उनके हाथ में कुछ कागज थे। उसमें हाथ से लिखा हुआ माफीनामा था। यह कैमरे में कैद हो गया। इसमें हाथ से कुछ पॉइंट्स लिखे हुए थे। जिसमें सबसे ऊपर था 'जो कुछ हुआ उसका दुख है, इससे मैं बहुत आहत हूं'।इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्थान CM विवाद के बीच दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को कहा कि वे अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे। दिग्विजय दिल्ली में कांग्रेस दफ्तर पहुंचे। उन्होंने कहा कि मैं यहां नामांकन फॉर्म लेने आया हूं और कल नामांकन करूंगा।इस बीच कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल भी दिल्ली पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि 1-2 दिन के अंदर राजस्थान का मामला सुलझ जाएगा। वेणुगोपाल ने सोनिया से मुलाकात के बाद यह बात कही।सोनिया नाराज, विवाद सुलझाने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं गहलोतराजस्थान में अशोक गहलोत समर्थक विधायकों के बागी तेवरों के बाद सोनिया गांधी पूरे घटनाक्रम पर नाराज हैं। विधायक दल की बैठक के बहिष्कार और गहलोत के समर्थक मंत्रियों के बयानों को ऑब्जवर्स की रिपोर्ट में हाईकमान के आदेशों का उल्लंघन और गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए नोटिस जारी किए थे।नोटिस जारी होने के बाद गहलोत ने भी पूरे मुद्दे पर आज सोनिया गांधी के सामने अपना पक्ष रखा। गहलोत खेमा प्रभारी अजय माकन पर पक्षपात करने और सचिन पायलट को फेवर करने का खुलेआम आरोप लगा चुका है।इसी बीच जयपुर में गहलोत गुट के मंत्री गोविंद मेघवाल ने कहा कि यदि दूसरे गुट के नेता को सीएम बनाया जाता है तो सभी विधायक इस्तीफा दे देंगे। मेघवाल के पास आपदा एवं राहत कार्य विभाग की जिम्मेदारी है। गहलोत के कट्टर समर्थकों में से एक मेघवाल ने कहा, राजस्थान में हम मध्यावधि चुनाव के लिए भी तैयार हैं।'अब क्या होगी गहलोत की भूमिका?राजस्थान में चार दिन से चल रहे विवाद के बाद अशोक गहलोत को लेकर हाईकमान के नेताओं में बना पर्सेप्शन काफी कुछ बदला है। अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। सीएम बने रहने का फैसला भी सोनिया गांधी पर छोड़ दिया।बता दें गहलोत की सोनिया गांधी से पिछली मुलाकात के दौरान अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा हुई थी। उस समय गहलोत ने अध्यक्ष पद के चुनाव पर राहुल गांधी को आखिरी बार मनाने के बाद फिर फैसला करने की बात कही थी।राहुल गांधी ने साफ मना कर दिया कि गैर गांधी ही अध्यक्ष होगा। गहलोत ने यह भी कहा था कि अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री रहना जस्टिफाइड नहीं है। इससे यह तय हो गया था कि गहलोत CM पद छोड़कर अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे, लेकिन रविवार के विवाद ने पूरा सियासी नरेटिव बदल दिया और मुद्दा अध्यक्ष चुनाव से ज्यादा राजस्थान के सियासी संकट को सुलझाने पर आ गया था। अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ूंगा...मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस एक लाइन के साथ राजस्थान में 20 सितंबर से चल रहे पॉलिटिकल ड्रामे के सेशन-2 को एक बार खत्म कर दिया। गहलोत ने इस दौरान एक और लाइन कही...CM का फैसला सोनिया गांधी करेंगी......यानी पॉलिटिकल ड्रामा अभी बाकी है। ये भी रहस्य, रोमांच और एंटरटेनमेंट से भरपूर होगा। रोमांचक इसलिए क्योंकि गहलोत की प्रेस ब्रीफिंग के साथ ही पॉलिटिकल पंडितों ने अटकलें लगानी शुरू कर दी हैं।
कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव की गुत्थी उलझती जा रही है। राजस्थान के घटनाक्रम के बाद दिग्विजय सिंह बुधवार को भारत जोड़ो यात्रा बीच में छोड़कर केरल के मलप्पुरम से दिल्ली रवाना हुए। माना जा रहा है कि वे शुक्रवार को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं।AICC के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की लास्ट डेट कलकांग्रेस ने शशि थरूर, कार्ति चिदंबरम, मनीष तिवारी समेत 5 सांसदों की ट्रांसपेरेंसी की मांग को मानते हुए अध्यक्ष चुनाव के नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत नॉमिनेशन भरने वाले को 9 हजार डेलीगेट्स की लिस्ट मिलेगी। जो पार्टी की सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी के पास 20 सितंबर से उपलब्ध है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव 17 अक्टूबर को होने हैं। 30 सितंबर नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है।एंटनी सोनिया से मिले, गहलोत ने भी की मुलाकातवरिष्ठ कांग्रेस नेता एके एंटनी ने बुधवार को दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी देर रात दिल्ली पहुंच गए थे। उन्होंने गुरुवार दोपहर सोनिया गांधी के आवास पर उनसे मुलाकात की। करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात के बाद गहलोत ने साफ कर दिया कि वे कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के साथ बैठकर मैंने बात की है। मैंने हमेशा वफादार सिपाही के रूप में काम किया है।विधायक दल की बैठक के दिन हुई घटना ने सबको हिलाकर रख दिया। ऐसा लगा जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बना रहना चाहता हूं, इसलिए मैंने उनसे माफी मांगी है। दिल्ली एयरपोर्ट पर गहलोत ने कहा कि राजस्थान में चल रही उठा-पटक घर का मामला है, इंटर्नल पॉलिटिक्स में यह सब चलता रहता है।बात अगर शशि थरूर की करें तो वे आखिरी दिन यानी 30 सितंबर को नामांकन करने का ऐलान कर चुके हैं। हालांकि थरूर ने कमलनाथ से कहा था कि वे इसलिए पर्चा भरेंगे, क्योंकि चुनाव हो। ऐसा न लगे कि चुनाव नहीं हो रहे।गहलोत को लेकर अलग-अलग रायगहलोत को लेकर पार्टी में दो तरह की राय है। CWC के कुछ सदस्य चाहते हैं कि गहलोत अध्यक्ष की दौड़ से अलग रहें। नामांकन में दो दिन बचे हैं, इसलिए संभावित उम्मीदवारों से पर्चे भरवाए जाएं और बाद में विचार-मंथन के दौरान जिस नाम पर आमराय बने, उसका नाम छोड़कर बाकी नाम 8 अक्टूबर तक वापस ले लिए जाएं। दूसरी ओर, कुछ वरिष्ठ सदस्य गहलोत की गलती माफ कर उन्हीं से पर्चा भरवाने की बात कह रहे हैं।दिग्विजय गुरुवार को अध्यक्ष पद के लिए नामाकंन कर सकते हैं। उन्होंने पिछले हफ्ते ही कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। यदि दिग्विजय सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो वे इस कुर्सी पर बैठने वाले मध्य प्रदेश के दूसरे नेता होंगे। अशोक गहलोत चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं है। पढ़ें पूरी खबर...कमलनाथ बोले- मैं मध्यप्रदेश नहीं छोड़ूंगामध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकते हैं। राजस्थान में सियासी उठापटक के बाद उनका नाम तेजी सामने आया है। वहीं कमलनाथ ने भी खुद को कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से बाहर बताया है। खास बात यह है कि कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी दिग्विजय सिंह के साथ एक ही फ्लाइट में दिल्ली के लिए रवाना हुए।
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