महात्मा गांधी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग करने वाले कालीचरण उर्फ अभिजीत सराग के विरुद्ध रायपुर (छत्तीसगढ़) पुलिस द्वारा देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और न्यायालय ने उसे दो दिन के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। \n \nउधर पुणे पुलिस ने भी वहां एक कार्यक्रम में मुसलमानों और ईसाइयों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने और लोगों के बीच सांप्रदायिक दरार पैदा करने के इरादे से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में कालीचरण व पांच अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है। इससे कालीचरण को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अब देखना यह है कि उसकी मदद करने कौन-कौन सामने आते हैं। \n \nइसी बीच छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रपिता के लिए अशोभनीय शब्दों का प्रयोग तथा उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे का वंदन करने वाले कालीचरण को भाजपा और आरएसएस के लोग साधु के रूप में महिमामंडित करते हुए देशभर में घुमा कर अपने सांप्रदायिक एजेंडे को प्रचारित करवा रहे हैं क्योंकि कालीचरण संघ-भाजपा की विध्वंसक सोच का प्रतिबिंब है। \n \nइस तरह वर्चस्ववादी संघ के हिंदुत्व के झांसे में आकर खुद को संकट में डालने वालों को यह समझना होगा कि आखीरकार क्यों अति चतुर लोगों की यह मंडली अपने स्वयंसेवकों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखती है। इसका एक ही कारण है कि उन्हें अपनी सुविधानुसार इस्तेमाल करने के दौरान बात बिगड़ने पर साफ कह दिया जाता है कि उसका संघ से कोई सम्बंध नहीं है। \n \nसांप्रदायिक राजनीति की यही रणनीति होती है कि वह बड़े नेताओं और संगठन को बचाने के लिए मौका पड़ने पर अपने ही खास आदमी को पहचानने से इनकार कर देती है। काम हो जाने के बाद लोगों को दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंक दिया जाता है। \n \nजब पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को 26 नवंबर, 2008 को में कई जगहों पर हुए आतंकी हमले के दौरान जिंदा पकड़ लिया गया था तो पाकिस्तान ने तमाम सबूतों के बावजूद भी उसे अपने देश का नागरिक मानने से इंकार कर दिया था। \n \nकभी-कभी तो जिनके कंधे पर बंदूक रखकर लक्ष्य पर निशाना साधा जाता है, उनकी ही हत्या के प्रयास किये जाते हैं। ऐसा सिर्फ निचले स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ ही नहीं बल्कि संगठन के बड़े लोगों के साथ भी किया जाता है। \n \nप्रवीण तोगड़िया ने देश-विदेश में हिंदुत्व का परचम लहराया, पूरे भारत में लाखों त्रिशूल बंटवाये। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में कोई कमी नहीं रखी। फिर एक दिन अचानक गायब होने के 11घंटे बाद बेहोशी की हालत में मिले और कहा कि उनके एनकाउंटर की साजिश हो रही थी, आइबी के लोग उनकी हत्या करवाना चाहते हैं। \n \nयही हाल आरएसएस और बजरंग दल के फायर ब्रांड नेता रह चुके वेलेंटाइन डे पर लड़के-लड़कियों को पिटवाने वाले श्रीराम सेना नामक हिंदूवादी संगठन के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रमोद मुथालिक का भी है। उन्होंने संघ के लोगों से अपनी जान को खतरा बताया। \n \nदीनदयाल उपाध्याय की हत्या में भी शक की सुई संघ-भाजपा के बड़े नेताओं की ओर संकेत करती है। \n \nमतलब निकल गया तो पहचानते नहीं— \nबलराज मधोक संघ की राजनीतिक शाखा जनसंघ के संस्थापक नेताओं में एक और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे। उन्नीस सौ साठ के दशक में उनके नाम की तूती बोलती थी। वे संघ के वरिष्ठ नेता थे। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेई व अपने ही अन्य सहयोगियों पर गंभीर आरोप लगाये। फिर वे पार्टी से इस तरह निकाल फेंके गये कि लोगों को याद भी नहीं रहा कि वे जीवित भी हैं या नहीं। \n \nपहली बार अयोध्या को हिंदुओं के हवाले करने और गौहत्या पर रोक लगाने की आवाज उठाने वाले और कभी शीर्ष दक्षिणपंथी नेताओं में शुमार रहे बलराज मधोक की गुमनामी में ही 2 मई, 2016 को मौत हो गई। \n \nलालकृष्ण आडवाणी उग्र हिंदुत्व का एजेंडा लेकर आये। दो सीटों वाली भाजपा को सत्ता के शिखर तक पहुंचाया। आज उनकी हालत इतनी दयनीय बना दी गई है कि तरस खाने लायक है। \n \nराम कोठारी आज जिंदा होता तो बीकानेर में अपना कारोबार कर रहा होता या फिर कोलकाता में पिता का व्यवसाय संभाल रहा होता लेकिन ऐसा हो नहीं सका क्योंकि राम मंदिर के लिए 1990 में हुई कारसेवा में शामिल होने को राम कोलकाता से अपने छोटे भाई शरद के साथ अयोध्या पहुंचा, जहां दोनों भाई चार दिन बाद हुई गोलीबारी में मारे गये। कोठारी बंधुओं को आज कितने लोग याद करते हैं? \n \nबाबरी मस्जिद टूटने के कई साल बाद तक वाजपेयी और आडवाणी जैसे भाजपाई बड़े नेता कारसेवकों के लिए 'उन्मादी भीड़' शब्द का इस्तेमाल करते रहे। \n \nउसी कारसेवा में शामिल और संघ के एक समर्पित स्वयंसेवक भँवर मेघवंशी का तो संघ से ऐसा मोहभंग हुआ कि उन्होंने संघ की कार्यप्रणाली को लेकर अत्यंत लोकप्रिय एक मोटी किताब 'मैं एक कारसेवक था' ही लिख डाली। जिसके देश की कई भाषाओं में अनुवाद छप चुके हैं। \n \n2002 के गुजरात दंगों का पोस्टर बॉय अशोक भावनभाई परमार उर्फ अशोक मोची अब कहां है? उसकी खोज-खबर लेने वाले कोई हैं? \n \nकासगंज (उप्र.) में 26 जनवरी, 2018 को तिरंगा यात्रा को लेकर हुई हिंसा में चंदन गुप्ता नाम के युवक की हत्या कर दी गई थी। उसके बाद उसके परिवार को तरह-तरह की घोषणाओं से लाद दिया गया था। बहन को नौकरी देने के 5 महीने बाद निकाल दिया गया था। तब से वह घर बैठकर आंसू बहा रही है। वे सारी घोषणाएं आज तक हवा में हैं। \n \nऐसे असंख्य उदाहरण हैं जिन्हें देखते हुए लोगों को सोचना चाहिए कि तथाकथित धर्म के नाम पर वे जो कुछ भी कर रहे हैं, उसका कोई लाभ तो उन्हें होने से रहा परंतु हानि अवश्य है। उनके कंधों पर सवार होकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ने वाले ही मतलब निकालने के बाद उन्हें गुमनामी के अंधेरों में धकेल देंगे और उनके हाथ बर्बादी ही आयेगी, यह निश्चित है। कम से कम ऊपर दिये गये चंद उदाहरणों से तो यही स्पष्ट होता है। \n \nसंघ ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इसी तरह के अतिवादी संगठन लोगों को तरह-तरह से इस्तेमाल करने के बाद उनको दूध की मक्खी की तरह निकाल कर उपेक्षा, निराशा, पश्चाताप, अवसाद, गुमनामी के अंधेरे कोने में फेंक देते हैं और यहां तक कि उनकी हत्या भी कर देते हैं। Crime repoter Dushyant sakhare crime repoter contact number 9171364770 ही उठानी पड़ती है।
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