15 किमी पैदल चलकर कलेक्टर से मिलने पहुंचे छात्र, बोले—गुरुकुलम में पढ़ाई नहीं, शोषण और डर का माहौल है

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महू (इंदौर)। देश भर में आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से चलाए जा रहे एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (गुरुकुलम), महू के छात्र शिक्षा और सुविधा की बजाय उपेक्षा, शोषण और डर के माहौल में जीने को मजबूर हैं। इसी पीड़ा को लेकर स्कूल के छात्रों ने 15 किलोमीटर पैदल चलकर कलेक्टर आशीष सिंह से मुलाकात की और स्कूल में व्याप्त अव्यवस्थाओं की शिकायत की।


📚 न शिक्षक, न सुविधा, जर्जर इमारत में जिंदगी की पाठशाला

छात्रों ने बताया कि—

  • कई विषयों के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, जिससे पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित है।
  • स्कूल की इमारत जर्जर हो चुकी है, जिसमें पढ़ना खतरे से खाली नहीं।
  • 7 साल पहले शुरू हुआ नया भवन निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया

तेज बारिश के दौरान छत टपकती है और बच्चों को उसी खतरनाक भवन में बैठकर पढ़ना पड़ता है।


🧼 शौचालय भी खुद साफ करते हैं छात्र

छात्रों का आरोप है कि उन्हें शौचालय और साफ-सफाई का काम खुद करवाया जाता है, जो नियमों के खिलाफ है।

12वीं के छात्र प्रियांशु मौरे ने बताया कि—

“हमें घटिया क्वालिटी का खाना दिया जाता है। कई बार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”


🗣️ ‘अंग्रेजी में बात करो, वरना मत आओ’—प्रिंसिपल पर गंभीर आरोप

छात्रों ने प्रिंसिपल निकिता मेहरा पर भी गंभीर आरोप लगाए।

  • वे छात्रों से दुव्यवहार करती हैं
  • अक्सर कहती हैं—“अगर मुझसे बात करनी है तो अंग्रेजी में करो, वरना मत आना।”
  • 11वीं के जयदीप डावर ने बताया कि प्राचार्य का व्यवहार शिक्षकों के साथ भी अपमानजनक है

🚑 छात्रा को पैनिक अटैक, इलाज में देरी, वाहन का दुरुपयोग

छात्रों ने बताया कि कुछ समय पहले एक छात्रा को पैनिक अटैक आया, लेकिन समय पर चिकित्सकीय सहायता नहीं मिल सकी और वह आधे घंटे तक तड़पती रही।

  • हॉस्टल में आपातकालीन वाहन की सुविधा तो है, लेकिन वह प्राचार्य के निजी कार्यों में प्रयोग की जाती है, जिससे जरूरत के समय छात्रों को इसका लाभ नहीं मिल पाता।

🔁 एक साल पहले भी किया था विरोध, पर नहीं बदली स्थिति

यह कोई पहली बार नहीं है जब गुरुकुलम के छात्र अपनी पीड़ा लेकर बाहर आए हों।
एक साल पहले भी छात्रों ने पैदल मार्च किया था, जिसकी रिपोर्टिंग मीडिया ने प्रमुखता से की थी। लेकिन तब भी केवल आश्वासन मिले, समाधान नहीं।

इस बार भी प्रशासन की प्रतिक्रिया लगभग वही है—“जांच कराएंगे, फिर कार्रवाई होगी।”


🙅‍♀️ प्राचार्य का जवाब: सभी आरोप झूठे, मुझे फंसाया जा रहा है

प्रिंसिपल निकिता मेहरा ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा:

“मुझे हटाने के लिए षड़यंत्र रचा जा रहा है। छात्रों को उकसाया जा रहा है। सभी आरोप बेबुनियाद हैं।”


🧾 सवाल खड़े करता है यह मामला

  1. आदिवासी बच्चों को सम्मान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने वाली योजना में इतनी उपेक्षा क्यों?
  2. क्या यही है एकलव्य विद्यालयों की “आदर्श” स्थिति?
  3. बार-बार शिकायतों और पैदल मार्च के बाद भी प्रशासन क्यों चुप है?

📣 आवश्यक है ठोस कार्रवाई, नहीं तो और बच्चे होंगे पीड़ित

इस मामले ने यह साफ कर दिया है कि केवल आश्वासन नहीं, अब तत्काल और सख्त कार्रवाई की जरूरत है
बच्चों की आवाज को अनसुना करना, उन्हें अंग्रेज़ी न बोल पाने पर अपमानित करना, और खराब सुविधाएं देना—शिक्षा के अधिकार के सीधे उल्लंघन की श्रेणी में आता है।


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