छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों एक बार फिर उबाल आ गया है। कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव ने रायपुर स्थित जेल में बंद चैतन्य बघेल और कवासी लखमा से मुलाकात के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार और जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने इस पूरी स्थिति की तुलना “अघोषित आपातकाल” से की और दावा किया कि राज्य में लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोंटा जा रहा है।
🔴 चैतन्य और लखमा से मुलाकात के बाद यादव का बड़ा बयान
देवेंद्र यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने जेल में बंद चैतन्य बघेल (पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे) और कवासी लखमा (पूर्व मंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता) से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान उन्होंने दोनों की शारीरिक और मानसिक स्थिति को लेकर चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि:
- कवासी लखमा की आंखों में सूजन और जलन है, लेकिन उन्हें अब तक उचित इलाज नहीं दिया गया।
- चैतन्य बघेल को लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, जिससे उनकी स्थिति खराब हो रही है।
🔥 “लोकतंत्र खतरे में है” – देवेंद्र यादव
कांग्रेस विधायक ने आगे कहा कि राज्य की बीजेपी सरकार जनविरोधी और तानाशाही रवैया अपना रही है। उन्होंने कहा:
“आज जो भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे या तो दबा दिया जाता है या जेल में डाल दिया जाता है। यह साफ तौर पर अघोषित आपातकाल है। ऐसा लगता है जैसे हम लोकतंत्र नहीं, तानाशाही में जी रहे हैं।”
🔍 चैतन्य बघेल और शराब घोटाला
गौरतलब है कि चैतन्य बघेल, छत्तीसगढ़ में चर्चा में रहे शराब घोटाले के मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले को बीजेपी सरकार ने प्रमुख मुद्दा बनाते हुए कार्रवाई तेज की थी। कांग्रेस का आरोप है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है।
देवेंद्र यादव ने चैतन्य बघेल का बचाव करते हुए कहा:
“भूपेश बघेल ने हमेशा पूंजीपतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। आज उनके बेटे को इसी की सजा दी जा रही है। लेकिन चैतन्य बघेल जेल के अंदर भी डटकर खड़े हैं और हम सभी कांग्रेस कार्यकर्ता उनके साथ हैं।”
🧭 कांग्रेस की रणनीति और प्रतिक्रिया
देवेंद्र यादव का यह बयान स्पष्ट रूप से कांग्रेस की आगामी रणनीति की ओर इशारा करता है। पार्टी अब इस मुद्दे को राजनीतिक उत्पीड़न और लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन के रूप में जनता के बीच ले जाने की तैयारी कर रही है। यादव ने संकेत दिए कि कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतरने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
इस पूरे घटनाक्रम ने छत्तीसगढ़ की सियासत को एक बार फिर गरमा दिया है। जहां बीजेपी सरकार इसे कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे लोकतंत्र की हत्या के रूप में पेश कर रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी और टकराव और तेज़ हो सकता है।