
बालोद – इन दिनों बालोद जिले की आबो हवा मे चाकू बाजी के किस्से आम हो रहे हैँ, ना केवल चाकू बल्कि तरह तरह के हथियार अब की युवा पीढ़ी के हाथो देखे जा सकते हैँ, माना जाता हैँ की हथियार अपने पास रखना पूर्वजो से चली आ रही प्रथा हैँ उस वक्त वो हथियार सिर्फ अपनी सुरक्षा मात्र के लिए नहीं बल्कि अपने गांव और कमजोर लोगो की सुरक्षा के लिए होते थे, क्यूंकि उस वक्त पुलिस प्रशासन की पहुँच ग्रामीण अंचल तक आसान नहीं थी किन्तु देश की आजादी के इतने वर्षो बाद भी क्या पुलिस प्रशासन की पहुँच ग्रामीण अंचल तक कठिन हैँ ज़ब की अब प्रशासन पूरी तरह से हाई टेक हो चुका हैँ दीगर राज्य मे छुपे हुए अपराधीयों को चुटकी मे ढूंढ लाने का दम रखने वाली पुलिस शहर के अंदर हथियार रख के घूमने वालो तक पहुँच पाने मे बौनी क्यूँ शाबित हो रही हैँ, कहाँ जाता हैँ क़ानून के हाथ लंबे होते हैँ, और पुलिस की नजरों से बचना असम्भव हैँ किन्तु पिछले कुछ दिनों से ना केवल शहर बल्कि पुरे जिले की फिजा बदली बदली सी नजर आ रही हैँ, चाकू बाजी आम बात हो चुकि हैँ, हथियार लेकर चलना अब अपने वर्चस्व और गौरव की बात समझने लगे हैँ युवा क्या ये युवाओं के बीच अपनी ही सुरक्षा को लेकर सवाल नहीं पैदा करता या फिर प्रशासन लोगो के बीच सुरक्षा के संदेश को पहुँचा पाने मे फीसड्डी शाबित हो रही हैँ, लोगो के मन मे आखिर ये सवाल रह रह कर उठ रहे हैँ यदि प्रशासन चुस्त हैँ तो ये प्राण घातक हथियार युवाओं के हाथ तक पहुंच कैसे रहे हैँ, आखिर कौन हैँ जो इस शांति प्रिय माहौल को खराब करने पे तुला हैँ कौन हैँ जो समाज मे जहर घोल रहा है, और अपने चंद पैसो के लाभ के लिए युवाओं को एक दूसरे के ख़ून का प्यासा बना रहा है, निश्चित ही बालोद पुलिस की नशे के सौदागरो पऱ हो रही ताबड़तोड़ कार्यवाही ने उनकी कमर तोड़ रखी है जिसके चलते नशे के आदि युवाओं मे इसकी तङप देखी जा सकती है और नशे की कारोबारियों मे चिंता भी बनी हुई है की पुलिस के हाथ कब उन्के कालर तक पहुँच जाये, निश्चित ही ये कार्य सराहनीय है लेकिन दूसरी ओर हथियारो को लेकर चिंता बढ़ चुकि हैँ पुरे जिले मे लोगो मे इन हथियार बाजो के चलते लोगो मे भय का माहौल बना हुआ है, जो फिर से यही सवाल खडे करते है, क्या जन सुरक्षा के लिए जनता को ही हथियार उठाने पड़ेंगे या पुलिस प्रशासन के स्लोगन ” परित्राणाय साधुनाम” जिसका अर्थ है सज्जन लोगो की सुरक्षा के लिए या उद्धार के लिए क्या यह चरितार्थ हो पायेगा!
ऑनलाइन पहुंच रहे हैँ हथियार
इन दिनों ऑनलाइन हथियारों की डिलीवरी आसान हैँ, जिसके चलते ना केवल शहर बल्कि ग्रामीण और वनाँचल क्षेत्रों तक आसानी से पहुँच जाते हैँ, जिसके चलते युवाओं मे दोस्तों के बीच अपने रौब को क़ायम रखने के लिए हथियार एक जरिया बनता जा रहा हैँ जो की कभी ना कभी खुनी संघर्ष मे जा कर समाप्त होता हैँ!
अब तक जिले मे कार्यवाही
ऑनलाइन हथियार खरीदने वालो पऱ तात्कालिन एस पी जीतेन्द्र यादव के नेतृत्व मे साइबर प्रभारी डिलेश्वर चंद्रवंशी की टीम ने बड़ी कामयाबी हाशिल करते हुई त्योहारों से पहले ही इन हथियार बाजो को धर दबोचा और उन्के जखीरे समेत उन पऱ कार्यवाही की जिसके चलते शहर मे इन अपराधियों के बीच खलबली मच गयी थी, निश्चित ही पुलिस प्रशासन द्वारा उठाया गया ये कदम तारीफे काबिल था, सिर्फ ऑनलाइन ही नहीं दीगर राज्यों से भी हथियार जिले के युवाओं तक पहुँच ने लगे है जिसका मुख्य स्रोत आस पास के जिले है, जहाँ के बड़े अपराधियों के साथ साठ गांठ कर अपने वर्चस्व को बनाये रखने के चलते युवा ये गलत राह की ओर फिर रहे है!

वर्ष 23 मे की गई कार्यवाही की तस्वीर ऑनलाइन माध्यम से चाकू और तलवार मंगाने वाले नाबालिगों की उम्र 13 से 17 वर्ष के बीच है। जब पुलिस को इस बात की जानकारी मिली, तो उनके माता-पिता को सूचित कर उनके समक्ष चाकू जमा कराया गया था और उन्हें समझाइश भी दी गई थी । बालोद जिले में 134 लोगों की तस्दीक की गई थी , जिनसे पेन चाकू, बटन चाकू और बड़ी तलवार जब्त की गई थी!